विश्व धर्म सम्मलेन की असल कहानी - शिकागो 1893
2 अप्रैल 2011,वर्ल्ड कप का फाइनल मैच था। नुवान कुलशेखरा हाथ चिपकाती एक्शन दिखाकर गेंद फेंकते है और मिस्टर धोनी एक लमहर छक्का टानकर उसी पोज में खड़े रहते हैं ताकि फोटुग्राफर अपना काम कर सके। कमेंट्री में रवि शास्त्री अलग राग अलाप रहे हैं, दर्शक अलग नाच रहे है, खिलाड़ी एक-दूसरे के साथ चिपक कर रो रहे हैं और 10 साल बाद भी दुनिया धोनी के उस छक्के की जय-जयकार लूप में देखती, सुनती है। मगर आज भी गौतम गंभीर के 97 रन दीए तले अंधेरे के समान माना जाता हैं।